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January 20, 2025

सप्तमेश का अलग अलग भावो में फल :

         सप्तमेश का अलग अलग भावो में फल :

इंसान के जीवन में विवाह , साझेदारी और सम्बन्धो को कुंडली के सातवे भाव से देखा जाता है।  इसी भाव और इसके स्वामी से ही विवाह से सम्बन्धी रहस्य समझे जाते है।  आज इस ब्लॉग में हम सातवे भाव और इसके स्वामी के अलग अलग भावो में फल की चर्चा करेंगी। 

  A ) सप्तमेश पहले भाव में :

      – पहला भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व का भाव होता है यदि सातवे भाव का स्वामी शुभ होकर इस भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति के लिए विवाह और जीवनसाथी दोनों ही बहुत मायने रखता है।

    – व्यक्ति अपने जीवन साथी से अत्यधिक प्रभावित होता है और उसके निर्णय पर भी जीवनसाथी का प्रभाव पड़ता है।

    – व्यक्ति  अपने जीवनसाथी के प्रति आकर्षित रहता है 

   – यदि सप्तमेश शुभ ग्रह है और उसे शुभता प्राप्त है तो ऐसे में विवाह और वैवाहिक जीवन सुखद और मजबूत रहता है। 

  – सप्तमेश पर यदि शुक्र या चंद्र की दृष्टि है तो विवाह भी जल्दी हो जाता है। 

यदि सप्तमेश अशुभ प्रभाव में हो  

  – ऐसे में विवाह में अनबन रहती है और तालमेल में कमी रहती है 

 – कोई एक पार्टनर खुद को हावी दिखा सकता है। 

– जीवनसाथी से अत्याधिक उम्मीद रिश्ते को प्रभावित कर सकती है। 

– यदि सप्तमेश पर राहु , केतु या शनि का प्रभाव हो तो ये रिश्ते के टूटने का कारण बन सकता है  

जीवनसाथी का करियर :

जब सप्तमेश पहले भाव में होता है तो ऐसे में मुख्यत जीवनसाथी अपना खुद का कार्य करता है या ये कहिये की व्यापार करता है।  

१.  शुक्र सप्तमेश होकर पहले भाव में : ऐसे में जीवनसाथी का करियर रचनात्मक या कला के क्षेत्र से जुड़ा हो सकता है जैसे : आर्ट्स , फैशन , डिजाइनिंग , ब्यूटी , महंगे आइटम्स , सलाहकार जैसे क्षेत्रो में जुड़ा हो सकता है।  

2 . मंगल सप्तमेश होकर यदि पहले भाव में हो तो जीवनसथी डिफेंस , पुलिस , इंजीनियरिंग , या खेल से जुड़ा हो सकता है।  मंगल के कारण जीवनसाथी में ऊर्जा बहुत अधिक होती है। 

3 . बुध सप्तमेश हो तो जीवनसाथी का करियर संचार , लेखन , शिक्षा , मार्केटिंग या व्यापार से जुड़ा होता है। बुध के कारण जीवनसाथी बहुत बुद्धिमान और बोलने में अच्छा होता है। 

4 .  गुरु बृहस्पति सप्तमेश होकर पहले भाव में हो तो जीवनसाथी धार्मिक कार्य से , शिक्षा से , वकालत से , या फाइनेंस ( बैंकिंग या इन्वेस्टमेंट ) जैसे क्षेत्रो से जुड़ा हो सकता है 

5 . शनि यदि सप्तमेश हो तो जीवनसाथी , लॉ , प्रबंधन , इंडस्ट्रियल सेक्टर , या सरकारी सेवा से जुड़ा हो सकता है।  शनि के प्रभाव के कारण जीवनसाथी को सफलता काफी धीरे मिलती है परन्तु ये स्थायी होती है। 

जीवनसाथी के करियर और उसके स्वभाव पर इस  बात का भी असर होता है की सप्तमेश किस राशि में है तथा कोई और ग्रह उसे साथ है या उसे देख रहा है।  

B ) सप्तमेश दूसरे भाव में : 

       कुंडली में दूसरा भाव वाणी , परिवार और धन से जुड़ा है।  साथ ही ये भोजन से भी जुड़ा होता है।  ऐसे में यदि सप्तमेश शुभ होकर दूसरे भाव में हो तो 

   – व्यक्ति जो विवाह के बाद, विवाह के माद्यम से , जीवनसाथी की  माध्यम से धन प्राप्त होता है।  साथ में ऐसे में व्यक्ति का धन उसके जीवनसाथी के हाथ में होता है।  

 – जीवनसाथी के सम्बन्ध अपने ससुराल वालो से अच्छे रहते है और परिवार का माहौल भी सुखद रहता है।  दोनों के बीच वाणी सम्बन्ध अर्थात कम्युनिकेशन भी अच्छा रहता है।  परन्तु यदि सप्तमेश को अशुभता प्राप्त होती है तो फल इसके विपरीत होगा। 

NOTE : मंगल सप्तमेश होकर दूसरे भाव में हो तो जीवनसाथी काफी ऊर्जावान और बोल्ड होता है पर वाणी में कठोरता है।  परिवार के साथ मतभेद हो सकते है। 

शनि : शनि सप्तमेश होकर दूसरे भाव में हो तो ये शादी में विलम्भ करा सकता है परन्तु विवाह के बाद स्थिरता प्रदान करते है।  हां पर पारिवारिक माहौल में तनाव पैदा होता है। 

जीवनसाथी के करियर :     दूसरा भाव धन परिवार और वाणी से जुड़ा है।  दूसरे भाव का सम्बन्ध परिवार की विरासत , बैंकिंग , खाने पिने के व्यवसाय , वाणी से जुड़े व्यवसाय जैसे शिक्षण आदि से भी जुड़ा है।  इसलिए यदि सातवे भाव का स्वामी दूसरे भाव में हो तो ये मुख्य निम्न क्षेत्रो की तरफ इशारा करता है :

1 . वित्त और बैंकिंग : जीवनसाथी बैंकिंग या वित्तीय सेवा से जुड़ा हो सकता है।  निवेश या एकाउंटिंग जैसे क्षेत्र भी इस भाव से देखे जा सकते है। 

2 .  यह भाव खाने पीने या रेस्टॉरेंट जैसे व्यवसाय से भी जुड़ा  है। 

3 . पारिवारिक व्यवसाय : दूसरा भाव पारिवारिक व्यापार को भी दिखाता है , इसलिए जीवनसाथी फॅमिली बिसनेस में भी जुड़ा हो सकता है। 

4 . दूसरे भाव का सम्बन्ध वाणी से भी है इसलिए जीवनसाथी गायन ,  शिक्षा या वक्ता के क्षेत्रो से भी जुड़ा हो सकता है। 

परन्तु यदि सप्तमेश अशुभ प्रभाव में है तो ये उसके करियर में चुनौती दे सकता है। 

C ) सप्तमेश तीसरे भाव में : 

यदि सप्तमेश शुभ होकर तीसरे भाव में हो तो जीवन साथी साहसी , पराक्रमी , होता है और एक प्रेरणा स्रोत का कार्य करता है।  

– क्यूंकि तीसरा भाव संचार से भी जुड़ा है , ऐसे में सम्बन्धो में संचार और समझदारी का प्रमुख योग होता है।  

– जीवनसाथी से जितनी बातें हो सम्बन्ध उतने गहरे होते है। 

– विवाह के बाद छोटी यात्रा हो सकती है। 

– जीवनसाथी में रचनात्मक और कलात्मक गुण पाए जा सकते है।  इससे वह लेखन या मीडिया जैसे क्षेत्रो से जुड़ा हो सकता है।  

यदि सप्तमेश अशुभ हो तो 

– दोनों लोगो के बीच समझदारी की कमी रह सकती है 

– ego clashes हो सकते है 

– रिश्ता बनाये रखने के लिए अतिरिक्त प्रयत्न करने पड  सकते है

– सप्तमेश पर राहु या केतु का प्रभाव हो तो ये रिश्ते में दुरी भी ला सकता है। 

D ) सप्तमेश चौथे भाव में :

– चौथा भाव जातक की माँ , भावना , संतुष्टि , घर , सुख , संपत्ति , वाहन आदि को दिखाता है।  सप्तमेश यदि शुभ होकर चौथे भाव में बैठे तो निम्न प्रभाव देखे जा सकते है :

– विवाह के बाद जातक अपने जीवनसाथी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हो सकता है। 

– व्यक्ति के विवाह के बा उसके घर में सुख , शान्ति और समृद्धि रहती है। 

– जीवनसाथी के माध्यम से व्यक्ति को संपत्ति , वाहन इत्यादि की प्राप्ति होती है। 

– सास से सम्बन्ध अच्छे रहते है 

– व्यक्ति विवाह के बाद रियल एस्टेट , इंटीरियर डिजाइनिंग , कंस्ट्रशन  जैसे कार्यो से जुड़ा हो सकता है ये जीवनसाथी भी इन कार्यो से जुड़ा हो सकता है। 

परन्तु यदि सप्तमेश पर अशुभता है :

– यदि सप्तमेश पापी ग्रह के प्रभाव में है तो ऐसे में जीवनाथी over possessive या controlling नेचर का हो सकता है 

– emotional clashes हो सकते है 

– परिवार के सदस्यों के कारण रिश्तो में तनाव हो सकता है 

– विवाह के पश्चात संपत्ति से जुडी समस्या भी हो सकती है 

E ) सप्तमेश पंचम भाव में : 

  पंचम भाव बुद्धि , शिक्षा , संतान , प्रेम सम्बन्ध , और संरचनात्मक शैली से जुड़ा होता है।  यदि सप्तमेश शुभ है और इस भाव में है तो :

– प्रेम विवाह के योग बनते है। 

–  जीवनाथी ऊर्जावान और क्रिएटिव दोनों होगा 

– जीवनसाथी बुद्धिमान और धनी होगा ,

– वह कला या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हो सकता है 

– ऐसा जीवनाथी  मनोरंजन , या काउंसलिंग जैसे क्षेत्रो से भी जुड़ा हो सकता है 

– जीवनसाथी संतान की  परवरिश में योगदान महत्वपूर्ण देता है 

 परन्तु यदि सप्तमेश अशुभ हो तो परिणाम इसके विपरीत होते है 

F ) सप्तमेश छठे भाव में :

कुंडली का छठा भाव अच्छा नहीं माना जाता।  ये भाव शत्रु, प्रतियोगिता , विवाद , झगडे , क़र्ज़ और स्वास्थय सम्बन्धी समस्या दिखाता है। 

– सप्तमेश छठे भाव में हो तो जीवनसाथी बहस करने वाला , प्रतियोगी प्रकृति का और झगड़ा करने वाला होता है 

– ऐसे में यदि राहु , केतु या अशुभ ग्रह का प्रभाव हो तो तलाक की नौबत भी आ सकती है 

– जीवनसाथी मेडिकल , बैंकिंग , लॉ या सोशल वर्क से जुड़ा हो सकता है 

– जीवनसाथी मेहनती हो सकता है। 

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इसके आगे के भाव हम अगले ब्लॉग में पढ़ेंगे।  अगर आप लोग हमसे अपनी कुंडली का विश्लेषण करना चाहते है तो इस नंबर 9810672298 पर व्हाट्सप्प कर सकते है या इस लिंक पर क्लिक कर अपने जीवन से जुड़ा कोई भी सवाल मात्रा 29 रु में पूछ सकते है।

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